Thursday, June 24, 2010

(स्वामी विवेकानन्द)

अग्नी मंत्र (स्वामी विवेकानन्द)

हे सखे, तुम क्योँ रो रहे हो ? हे सखे, तुम क्योँ रो रहे हो? सब शक्ति तो तुम्हीं में हैं। सब शक्ति तो तुम्हीं में हैं. हे भगवन्, अपना ऐश्वर्यमय स्वरूप को विकसित करो। हे भगवन्, अपना ऐश्वर्यमय स्वरूप को विकसित करो. ये तीनों लोक तुम्हारे पैरों के नीचे हैं। ये तीनों लोक तुम्हारे पैरों के नीचे हैं. जड की कोई शक्ति नहीं प्रबल शक्ति आत्मा की हैं। जड की कोई शक्ति नहीं प्रबल शक्ति आत्मा की हैं. हे विद्वन! हे विद्वन! डरो मत्; तुम्हारा नाश नहीं हैं, संसार-सागर से पार उतरने का उपाय हैं। डरो मत्; तुम्हारा नाश नहीं हैं, संसार - सागर से पार उतरने का हैं उपाय. जिस पथ के अवलम्बन से यती लोग संसार-सागर के पार उतरे हैं, वही श्रेष्ठ पथ मै तुम्हे दिखाता हूँ! (वि.स. ६/८) मन्त्र क्र.१ जिस पथ के अवलम्बन से यती लोग - संसार सागर के पार हैं उतरे, वही श्रेष्ठ पथ मै तुम्हे दिखाता हूँ! (6 / 8 वि.स.) मन्त्र क्र .1

बडे-बडे दिग्गज बह जायेंगे। बडे - बडे दिग्गज बह जायेंगे. छोटे-मोटे की तो बात ही क्या है! - छोटे मोटे की तो बात ही क्या है! तुम लोग कमर कसकर कार्य में जुट जाओ, हुंकार मात्र से हम दुनिया को पलट देंगे। तुम लोग कमर कसकर कार्य में जुट जाओ, हुंकार मात्र से हम दुनिया को पलट देंगे. अभी तो केवल मात्र प्रारम्भ ही है। अभी तो केवल मात्र प्रारम्भ ही है. किसी के साथ विवाद न कर हिल-मिलकर अग्रसर हो -- यह दुनिया भयानक है, किसी पर विश्वास नहीं है। किसी के साथ विवाद न कर - हिल मिलकर अग्रसर हो - यह दुनिया है भयानक, किसी पर विश्वास नहीं है. डरने का कोई कारण नहीं है, माँ मेरे साथ हैं -- इस बार ऐसे कार्य होंगे कि तुम चकित हो जाओगे। डरने का कोई कारण नहीं है, माँ मेरे साथ हैं - इस बार ऐसे कार्य होंगे कि तुम चकित जाओगे हो. भय किस बात का? भय किस बात का? किसका भय? किसका भय? वज्र जैसा हृदय बनाकर कार्य में जुट जाओ। वज्र जैसा हृदय बनाकर कार्य में जुट जाओ.
(विवेकानन्द साहित्य खण्ड-४पन्ना-३१५) (४/३१५) (विवेकानन्द साहित्य खण्ड -4 पन्ना -315) (4 315 /)

तुमने बहुत बहादुरी की है। तुमने बहुत बहादुरी की है. शाबाश! शाबाश! हिचकने वाले पीछे रह जायेंगे और तुम कुद कर सबके आगे पहुँच जाओगे। हिचकने वाले पीछे रह जायेंगे और तुम कुद कर सबके आगे पहुँच जाओगे. जो अपना उध्दार में लगे हुए हैं, वे न तो अपना उद्धार ही कर सकेंगे और न दूसरों का। जो अपना उध्दार में लगे हुए हैं, वे न तो अपना उद्धार ही कर सकेंगे और न का दूसरों. ऐसा शोर - गुल मचाओ की उसकी आवाज़ दुनिया के कोने कोने में फैल जाय। ऐसा - शोर गुल मचाओ की उसकी आवाज़ दुनिया के कोने कोने में फैल जाय. कुछ लोग ऐसे हैं, जो कि दूसरों की त्रुटियों को देखने के लिए तैयार बैठे हैं, किन्तु कार्य करने के समय उनका पता नही चलता है। कुछ लोग ऐसे हैं, जो कि दूसरों की त्रुटियों को देखने के लिए तैयार बैठे हैं, किन्तु कार्य करने के समय उनका पता नही है चलता. जुट जाओ, अपनी शक्ति के अनुसार आगे बढो।इसके बाद मैं भारत पहुँच कर सारे देश में उत्तेजना फूँक दूंगा। जुट जाओ, अपनी शक्ति के अनुसार आगे बढो इसके. बाद मैं भारत पहुँच कर सारे देश में उत्तेजना दूंगा फूँक. डर किस बात का है? डर किस बात का है? नहीं है, नहीं है, कहने से साँप का विष भी नहीं रहता है। नहीं है, नहीं है, कहने से साँप का विष भी नहीं है रहता. नहीं नहीं कहने से तो 'नहीं' हो जाना पडेगा। नहीं नहीं कहने से 'तो' नहीं हो जाना पडेगा. खूब शाबाश! खूब शाबाश! छान डालो - सारी दूनिया को छान डालो! छान - डालो सारी दूनिया को छान डालो! अफसोस इस बात का है कि यदि मुझ जैसे दो - चार व्यक्ति भी तुम्हारे साथी होते - तमाम संसार हिल उठता। अफसोस इस बात का है कि यदि मुझ जैसे - दो चार व्यक्ति भी तुम्हारे साथी होते - तमाम संसार हिल उठता. क्या करूँ धीरे - धीरे अग्रसर होना पड रहा है। क्या करूँ - धीरे धीरे अग्रसर होना पड रहा है. तूफ़ान मचा दो तूफ़ान! (वि.स. ४/३८७) तूफ़ान मचा दो तूफ़ान! (वि.स. 4 387 /)

किसी बात से तुम उत्साहहीन न होओ; जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है, कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है? किसी बात से तुम उत्साहहीन न; होओ जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है, कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है? यदि तुम अपनी अन्तिम साँस भी ले रहे हो तो भी न डरना। यदि तुम अपनी अन्तिम साँस भी ले रहे हो तो भी न डरना. सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो। (वि.स.४/३२०) सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो. (वि.स. 4 320 /)

लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो। (वि.स.६/८८) मन्त्र क्र.३ लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो. (वि.स. 6 88 /) मन्त्र क्र .3

श्रेयांसि बहुविघ्नानि अच्छे कर्मों में कितने ही विघ्न आते हैं। श्रेयांसि बहुविघ्नानि अच्छे कर्मों में कितने ही विघ्न आते हैं. -- प्रलय मचाना ही होगा, इससे कम में किसी तरह नहीं चल सकता। - प्रलय मचाना ही होगा, इससे कम में किसी तरह नहीं चल सकता. कुछ परवाह नहीं। कुछ परवाह नहीं. दुनीया भर में प्रलय मच जायेगा, दुनीया भर में प्रलय मच जायेगा, वाह! वाह! गुरु की फतह! अरे भाई श्रेयांसि बहुविघ्नानि , उन्ही विघ्नों की रेल पेल में आदमी तैयार होता है। गुरु की फतह! अरे भाई श्रेयांसि बहुविघ्नानि, उन्ही विघ्नों की रेल पेल में आदमी तैयार है होता. मिशनरी फिशनरी का काम थोडे ही है जो यह धक्का सम्हाले! मिशनरी फिशनरी का काम थोडे ही है जो यह धक्का सम्हाले! ....बडे - बडे बह गये, अब गडरिये का काम है जो थाह ले? .... - बडे बडे बह गये, अब गडरिये का काम है जो थाह ले? यह सब नहीं चलने का भैया, कोई चिन्ता न करना। यह सब नहीं चलने का भैया, कोई चिन्ता न करना. सभी कामों में एक दल शत्रुता ठानता है; अपना काम करते जाओ किसी की बात का जवाब देने से क्या काम? सभी कामों में एक दल शत्रुता ठानता, है अपना काम करते जाओ किसी की बात का जवाब देने से क्या काम? सत्यमेव जयते नानृतं, सत्येनैव पन्था विततो देवयानः (सत्य की ही विजय होती है, मिथ्या की नहीं; सत्य के ही बल से देवयानमार्ग की गति मिलती है।) ...धीरे - धीरे सब होगा। सत्यमेव जयते नानृतं, सत्येनैव पन्था विततो (देवयानः सत्य की ही विजय होती है, मिथ्या की नहीं, सत्य के ही बल से देवयानमार्ग की गति मिलती है). ... धीरे - धीरे सब होगा.

वीरता से आगे बढो। वीरता से आगे बढो. एक दिन या एक साल में सिध्दि की आशा न रखो। एक दिन या एक साल में सिध्दि की आशा न रखो. उच्चतम आदर्श पर दृढ रहो। उच्चतम आदर्श पर दृढ रहो. स्थिर रहो। स्थिर रहो. स्वार्थपरता और ईर्ष्या से बचो। स्वार्थपरता और ईर्ष्या से बचो. आज्ञा - पालन करो। आज्ञा - पालन करो. सत्य, मनुष्य -- जाति और अपने देश के पक्ष पर सदा के लिए अटल रहो, और तुम संसार को हिला दोगे। सत्य, मनुष्य - जाति और अपने देश के पक्ष पर सदा के लिए अटल रहो, और तुम संसार को हिला दोगे. याद रखो -- व्यक्ति और उसका जीवन ही शक्ति का स्रोत है, इसके सिवाय अन्य कुछ भी नहीं। (वि.स. ४/३९५) याद - रखो व्यक्ति और उसका जीवन ही शक्ति का है स्रोत, इसके सिवाय अन्य कुछ भी नहीं. (वि.स. 4 395 /)

...इस तरह का दिन क्या कभी होगा कि परोपकार के लिए जान जायेगी? ... इस तरह का दिन क्या कभी होगा कि परोपकार के लिए जान जायेगी? दुनिया बच्चों का खिलवाड नहीं है -- बडे आदमी वो हैं जो अपने हृदय-रुधिर से दूसरों का रास्ता तैयार करते हैं- यही सदा से होता आया है -- एक आदमी अपना शरीर-पात करके सेतु निर्माण करता है, और हज़ारों आदमी उसके ऊपर से नदी पार करते हैं। एवमस्तु एवमस्तु, शिवोsहम् शिवोsहम् (ऐसा ही हो, ऐसा ही हो- मैं ही शिव हूँ, मैं ही शिव हूँ। ) दुनिया बच्चों का खिलवाड नहीं - है बडे आदमी वो हैं जो अपने हृदय - रुधिर से दूसरों का रास्ता तैयार करते हैं - यही सदा से होता आया है - एक आदमी अपना शरीर - पात करके सेतु निर्माण है करता, और हज़ारों आदमी उसके ऊपर से नदी पार करते हैं एवमस्तु. एवमस्तु, शिवो s हम् शिवो (s हम् ऐसा ही हो, ऐसा ही हो - मैं ही शिव हूँ, मैं ही शिव हूँ.)

मैं चाहता हूँ कि मेरे सब बच्चे, मैं जितना उन्नत बन सकता था, उससे सौगुना उन्न्त बनें। मैं चाहता हूँ कि मेरे सब बच्चे, मैं जितना उन्नत बन सकता था, उससे सौगुना उन्न्त बनें. तुम लोगों में से प्रत्येक को महान शक्तिशाली बनना होगा- मैं कहता हूँ, अवश्य बनना होगा। तुम लोगों में से प्रत्येक को महान शक्तिशाली बनना - होगा मैं हूँ कहता, अवश्य बनना होगा. आज्ञा-पालन, ध्येय के प्रति अनुराग तथा ध्येय को कार्यरूप में परिणत करने के लिए सदा प्रस्तुत रहना -- इन तीनों के रहने पर कोई भी तुम्हे अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकता। (वि.स.६/३५२) आज्ञा - पालन, ध्येय के प्रति अनुराग तथा ध्येय को कार्यरूप में परिणत करने के लिए सदा प्रस्तुत रहना - इन तीनों के रहने पर कोई भी तुम्हे अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकता. (वि.स. 6 352 /)

मन और मुँह को एक करके भावों को जीवन में कार्यान्वित करना होगा। मन और मुँह को एक करके भावों को जीवन में कार्यान्वित करना होगा. इसीको श्री रामकृष्ण कहा करते थे, इसीको श्री रामकृष्ण कहा करते थे, "भाव के घर में किसी प्रकार की चोरी न होने पाये।" सब विषओं में व्यवहारिक बनना होगा। "भाव के घर में किसी प्रकार की चोरी न होने पाये बनना होगा." सब विषओं में व्यवहारिक. लोगों या समाज की बातों पर ध्यान न देकर वे एकाग्र मन से अपना कार्य करते रहेंगे क्या तुने नहीं सुना, कबीरदास के दोहे में है- "हाथी चले बाजार में, कुत्ता भोंके हजार साधुन को दुर्भाव नहिं, जो निन्दे संसार" ऐसे ही चलना है। लोगों या समाज की बातों पर ध्यान न देकर वे एकाग्र मन से अपना कार्य करते रहेंगे क्या तुने नहीं सुना, कबीरदास के दोहे में है - "हाथी चले बाजार में, कुत्ता भोंके हजार साधुन को दुर्भाव नहिं, जो निन्दे संसार चलना है" ऐसे ही . दुनिया के लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना होगा। दुनिया के लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना होगा. उनकी भली बुरी बातों को सुनने से जीवन भर कोई किसी प्रकार का महत् कार्य नहीं कर सकता। (वि.स.३/३८१) उनकी भली बुरी बातों को सुनने से जीवन भर कोई किसी प्रकार का महत् कार्य नहीं कर सकता. (381 / 3 वि.स.)

अन्त में प्रेम की ही विजय होती है। अन्त में प्रेम की ही विजय होती है. हैरान होने से काम नहीं चलेगा- ठहरो- धैर्य धारण करने पर सफलता अवश्यम्भावी है- तुमसे कहता हूँ देखना- कोई बाहरी अनुष्ठानपध्दति आवश्यक न हो- बहुत्व में एकत्व सार्वजनिन भाव में किसी तरह की बाधा न हो। हैरान होने से काम नहीं - चलेगा ठहरो - धैर्य धारण करने पर सफलता अवश्यम्भावी है - तुमसे कहता हूँ देखना - कोई बाहरी अनुष्ठानपध्दति आवश्यक न हो - बहुत्व में एकत्व सार्वजनिन भाव में किसी तरह की बाधा न हो. यदि आवश्यक हो तो "सार्वजनीनता" के भाव की रक्षा के लिए सब कुछ छोडना होगा। आवश्यक हो तो "सार्वजनीनता होगा यदि" के भाव की रक्षा के लिए सब कुछ छोडना. मैं मरूँ चाहे बचूँ, देश जाऊँ या न जाऊँ, तुम लोग अच्छी तरह याद रखना कि, सार्वजनीनता- हम लोग केवल इसी भाव का प्रचार नहीं करते कि, "दुसरों के धर्म का द्वेष न करना" ; नहीं, हम सब लोग सब धर्मों को सत्य समझते हैं और उन्का ग्रहण भी पूर्ण रूप से करते हैं हम इसका प्रचार भी करते हैं और इसे कार्य में परिणत कर दिखाते हैं सावधान रहना, दूसरे के अत्यन्त छोटे अधिकार में भी हस्तक्षेप न करना - इसी भँवर में बडे-बडे जहाज डूब जाते हैं पुरी भक्ति, परन्तु कट्टरता छोडकर, दिखानी होगी, याद रखना उन्की कृपा से सब ठीक हो जायेगा। मैं मरूँ चाहे बचूँ, देश जाऊँ या न जाऊँ, तुम लोग अच्छी तरह याद रखना कि, सार्वजनीनता - हम लोग केवल इसी भाव का प्रचार नहीं करते कि, "दुसरों के धर्म का द्वेष न"; करना नहीं, हम सब लोग सब धर्मों को सत्य समझते हैं और उन्का ग्रहण भी पूर्ण रूप से करते हैं हम इसका प्रचार भी करते हैं और इसे कार्य में परिणत कर दिखाते हैं सावधान रहना, दूसरे के अत्यन्त छोटे अधिकार में भी हस्तक्षेप न करना - इसी भँवर में बडे - बडे जहाज डूब जाते हैं पुरी भक्ति, परन्तु कट्टरता छोडकर, दिखानी होगी, याद रखना उन्की कृपा से सब ठीक जायेगा हो.

जिस तरह हो, इसके लिए हमें चाहे जितना कष्ट उठाना पडे- चाहे कितना ही त्याग करना पडे यह भाव (भयानक ईर्ष्या) हमारे भीतर न घुसने पाये- हम दस ही क्यों न हों- दो क्यों न रहें- परवाह नहीं परन्तु जितने हों सम्पूर्ण शुध्दचरित्र हों। जिस तरह हो, इसके लिए हमें चाहे जितना कष्ट उठाना पडे - चाहे कितना ही त्याग करना पडे भाव यह (भयानक) ईर्ष्या हमारे भीतर न घुसने पाये - हम दस ही क्यों न हों - दो क्यों न रहें - परवाह नहीं परन्तु जितने हों सम्पूर्ण शुध्दचरित्र हों.

नीतिपरायण तथा नीतिपरायण तथा साहसी बनो, अन्त: करण पूर्णतया शुध्द रहना चाहिए। साहसी बनो, अन्त: करण पूर्णतया शुध्द चाहिए रहना. पूर्ण नीतिपरायण तथा साहसी बनो -- प्रणों के लिए भी कभी न डरो। पूर्ण नीतिपरायण तथा साहसी - बनो प्रणों के लिए भी कभी न डरो. कायर लोग ही पापाचरण करते हैं, वीर पुरूष कभी भी पापानुष्ठान नहीं करते -- यहाँ तक कि कभी वे मन में भी पाप का विचार नहीं लाते। कायर लोग ही पापाचरण करते हैं, वीर पुरूष कभी भी पापानुष्ठान नहीं करते - यहाँ तक कि कभी वे मन में भी पाप का विचार लाते नहीं. प्राणिमात्र से प्रेम करने का प्रयास करो। प्राणिमात्र से प्रेम करने का प्रयास करो. बच्चो, तुम्हारे लिए नीतिपरायणता तथा साहस को छोडकर और कोई दूसरा धर्म नहीं। बच्चो, लिए नीतिपरायणता तथा साहस को छोडकर और कोई दूसरा धर्म नहीं तुम्हारे. इसके सिवाय और कोई धार्मिक मत-मतान्तर तुम्हारे लिए नहीं है। इसके सिवाय और कोई धार्मिक - मत मतान्तर तुम्हारे लिए नहीं है. कायरता, पाप्, असदाचरण तथा दुर्बलता तुममें एकदम नहीं रहनी चाहिए, बाक़ी आवश्यकीय वस्तुएँ अपने आप आकर उपस्थित होंगी। (वि.स.१/३५०) कायरता, पाप्, असदाचरण तथा दुर्बलता तुममें एकदम नहीं रहनी चाहिए, बाक़ी आवश्यकीय वस्तुएँ अपने आप आकर उपस्थित होंगी. (350 1 / वि.स.)

शक्तिमान, उठो तथा सामर्थ्यशाली बनो। शक्तिमान, उठो तथा सामर्थ्यशाली बनो. कर्म, निरन्तर कर्म; संघर्ष , निरन्तर संघर्ष! कर्म, निरन्तर कर्म, संघर्ष, निरन्तर संघर्ष! अलमिति। अलमिति. पवित्र और निःस्वार्थी बनने की कोशिश करो -- सारा धर्म इसी में है। (वि.स.१/३७९) पवित्र और निःस्वार्थी बनने की कोशिश - करो सारा धर्म इसी में है. (379 1 / वि.स.)

क्या संस्कृत पढ रहे हो? क्या संस्कृत पढ रहे हो? कितनी प्रगति होई है? कितनी प्रगति होई है? आशा है कि प्रथम भाग तो अवश्य ही समाप्त कर चुके होगे। आशा है कि प्रथम भाग तो अवश्य ही समाप्त कर चुके होगे. विशेष परिश्रम के साथ संस्कृत सीखो। (वि.स.१/३७९-८०) विशेष परिश्रम के साथ संस्कृत सीखो. वि.स. 1/379-80 ()

शत्रु को पराजित करने के लिए ढाल तथा तलवार की आवश्यकता होती है। शत्रु को पराजित करने के लिए ढाल तथा तलवार की आवश्यकता होती है. इसलिए अंग्रेज़ी और संस्कृत का अध्ययन मन लगाकर करो। (वि.स.४/३१९) इसलिए अंग्रेज़ी और संस्कृत का अध्ययन मन लगाकर करो. (वि.स. 4 319 /)

बच्चों, धर्म का रहस्य आचरण से जाना जा सकता है, व्यर्थ के मतवादों से नहीं। बच्चों, धर्म का रहस्य आचरण से जाना जा सकता है, व्यर्थ के मतवादों से नहीं. सच्चा बनना तथा सच्चा बर्ताव करना, इसमें ही समग्र धर्म निहित है। सच्चा बनना तथा सच्चा बर्ताव करना, इसमें ही समग्र धर्म निहित है. जो केवल प्रभु-प्रभु की रट लगाता है, वह नहीं, किन्तु जो उस परम पिता के इच्छानुसार कार्य करता है वही धार्मिक है। जो केवल - प्रभु प्रभु की रट है लगाता, वह नहीं, किन्तु जो उस परम पिता के इच्छानुसार कार्य करता है वही धार्मिक है. यदि कभी कभी तुमको संसार का थोडा-बहुत धक्का भी खाना पडे, तो उससे विचलित न होना, मुहूर्त भर में वह दूर हो जायगा तथा सारी स्थिति पुनः ठीक हो जायगी। (वि.स.१/३८०) यदि कभी कभी तुमको संसार का - थोडा बहुत धक्का भी पडे खाना, तो उससे विचलित न होना, मुहूर्त भर में वह दूर हो जायगा तथा सारी स्थिति पुनः ठीक हो जायगी. (380 1 / वि.स.)

बालकों, दृढ बने रहो, मेरी सन्तानों में से कोई भी कायर न बने। बालकों, दृढ बने रहो, मेरी सन्तानों में से कोई भी कायर न बने. तुम लोगों में जो सबसे अधिक साहसी है - सदा उसीका साथ करो। तुम लोगों में जो सबसे अधिक साहसी - है सदा उसीका साथ करो. बिना विघ्न - बाधाओं के क्या कभी कोई महान कार्य हो सकता है? बिना - विघ्न बाधाओं के क्या कभी कोई महान कार्य हो सकता है? समय, धैर्य तथा अदम्य इच्छा-शक्ति से ही कार्य हुआ करता है। समय, धैर्य तथा अदम्य इच्छा - से ही कार्य हुआ करता है शक्ति. मैं तुम लोगों को ऐसी बहुत सी बातें बतलाता, जिससे तुम्हारे हृदय उछल पडते, किन्तु मैं ऐसा नहीं करूँगा। मैं तुम लोगों को ऐसी बहुत सी बातें बतलाता, जिससे तुम्हारे हृदय उछल पडते, किन्तु मैं ऐसा नहीं करूँगा. मैं तो लोहे के सदृश दृढ इच्छा-शक्ति सम्पन्न हृदय चाहता हूँ, जो कभी कम्पित न हो। मैं तो लोहे के सदृश दृढ - इच्छा शक्ति सम्पन्न हृदय हूँ चाहता, जो कभी कम्पित न हो. दृढता के साथ लगे रहो, प्रभु तुम्हें आशीर्वाद दे। दृढता के साथ लगे रहो, प्रभु तुम्हें आशीर्वाद दे. सदा शुभकामनाओं के साथ तुम्हारा विवेकानन्द। (वि.स.४/३४०) सदा शुभकामनाओं के साथ तुम्हारा विवेकानन्द. (वि.स. 4 340 /)

'जब तक जीना, तब तक सीखना' -- अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। (वि.स.१/३८६) जीना 'जब तक, तब तक' सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है. (386 1 / वि.स.)

जीस प्रकार स्वर्ग में, उसी प्रकार इस नश्वर जगत में भी तुम्हारी इच्छा पूर्ण हो, क्योंकि अनन्त काल के लिए जगत में तुम्हारी ही महिमा घोषित हो रही है एवं सब कुछ तुम्हारा ही राज्य है। (वि.स.१/३८७) जीस प्रकार स्वर्ग में, उसी प्रकार इस नश्वर जगत में भी तुम्हारी इच्छा पूर्ण हो, क्योंकि अनन्त काल के लिए जगत में तुम्हारी ही महिमा घोषित हो रही है एवं सब कुछ तुम्हारा ही राज्य है. (387 1 / वि.स.)

पवित्रता, दृढता तथा उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ। (वि.स.४/३४७) पवित्रता, दृढता तथा उद्यम - ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ. (वि.स. 4 347 /)

भाग्य बहादुर और कर्मठ व्यक्ति का ही साथ देता है। भाग्य बहादुर और कर्मठ व्यक्ति का ही साथ देता है. पीछे मुडकर मत देखो आगे, अपार शक्ति, अपरिमित उत्साह, अमित साहस और निस्सीम धैर्य की आवश्यकता है- और तभी महत कार्य निष्पन्न किये जा सकते हैं। पीछे मुडकर मत देखो आगे, अपार शक्ति, अपरिमित उत्साह, अमित साहस और निस्सीम धैर्य की आवश्यकता है - और तभी महत कार्य निष्पन्न किये जा हैं सकते. हमें पूरे विश्व को उद्दीप्त करना है। (वि.स.४/३५१) हमें पूरे विश्व को उद्दीप्त करना है. (वि.स. 4 351 /)

पवित्रता, धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सारी बाधाएँ दूर हो जाती हैं। पवित्रता, तथा प्रयत्न के द्वारा सारी बाधाएँ दूर हो जाती हैं धैर्य. इसमें कोई सन्देह नहीं कि महान कार्य सभी धीरे धीरे होते हैं। (वि.स.४/३५१) इसमें कोई सन्देह नहीं कि महान कार्य सभी धीरे धीरे होते हैं. (वि.स. 4 351 /)

साहसी होकर काम करो। साहसी होकर काम करो. धीरज और स्थिरता से काम करना -- यही एक मार्ग है। धीरज और स्थिरता से काम - करना यही एक मार्ग है. आगे बढो और याद रखो धीरज, साहस, पवित्रता और आगे बढो और याद रखो धीरज, साहस, पवित्रता और अनवरत कर्म। अनवरत कर्म. जब तक तुम पवित्र होकर अपने उद्देश्य पर डटे रहोगे, तब तक तुम कभी निष्फल नहीं होओगे -- माँ तुम्हें कभी न छोडेगी और पूर्ण आशीर्वाद के तुम पात्र हो जाओगे। (वि.स.४/३५६) जब तक तुम पवित्र होकर अपने उद्देश्य पर डटे रहोगे, तब तक तुम कभी निष्फल नहीं होओगे - माँ तुम्हें कभी न छोडेगी और पूर्ण आशीर्वाद के तुम पात्र हो जाओगे. (वि.स. 4 356 /)

बच्चों, जब तक तुम लोगों को भगवान तथा बच्चों, जब तक तुम लोगों को भगवान तथा गुरू में, भक्ति तथा सत्य में विश्वास रहेगा, तब तक कोई भी तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता। गुरू में, भक्ति तथा सत्य में विश्वास रहेगा, तब तक कोई भी तुम्हें नुक़सान नहीं सकता पहुँचा. किन्तु इनमें से एक के भी नष्ट हो जाने पर परिणाम विपत्तिजनक है। (वि.स.४/३३९) किन्तु इनमें से एक के भी नष्ट हो जाने पर परिणाम विपत्तिजनक है. (वि.स. 4 339 /)

महाशक्ति का तुममें संचार होगा -- कदापि भयभीत मत होना। महाशक्ति का तुममें संचार - होगा कदापि भयभीत मत होना. पवित्र होओ, विश्वासी होओ, और आज्ञापालक होओ। (वि.स.४/३६१) पवित्र होओ, विश्वासी होओ, और आज्ञापालक होओ. (वि.स. 4 361 /)

बिना पाखण्डी और कायर बने सबको प्रसन्न रखो। बिना पाखण्डी और कायर बने सबको प्रसन्न रखो. पवित्रता और शक्ति के साथ अपने आदर्श पर दृढ रहो और फिर तुम्हारे सामने कैसी भी बाधाएँ क्यों न हों, कुछ समय बाद संसार तुमको मानेगा ही। (वि.स.४/३६२) पवित्रता और शक्ति के साथ अपने आदर्श पर दृढ रहो और फिर तुम्हारे सामने कैसी भी बाधाएँ क्यों न हों, कुछ समय बाद संसार तुमको मानेगा ही. (वि.स. 4 362 /)

धीरज रखो और मृत्युपर्यन्त विश्वासपात्र रहो। धीरज रखो और मृत्युपर्यन्त विश्वासपात्र रहो. आपस में न लडो! आपस में न लडो! रुपये - पैसे के व्यवहार में शुध्द भाव रखो। - रुपये पैसे के व्यवहार में शुध्द भाव रखो. हम अभी महान कार्य करेंगे। हम अभी महान कार्य करेंगे. जब तक तुममें ईमानदारी, भक्ति और विश्वास है, तब तक प्रत्येक कार्य में तुम्हे सफलता मिलेगी। (वि.स.४/३६८) जब तक तुममें ईमानदारी, भक्ति और विश्वास है, तब तक प्रत्येक कार्य में तुम्हे सफलता मिलेगी. (वि.स. 4 368 /)

जो पवित्र तथा साहसी है, वही जगत् में सब कुछ कर सकता है। जो पवित्र तथा साहसी है, वही जगत् में सब कुछ कर सकता है. माया-मोह से प्रभु सदा तुम्हारी रक्षा करें। - माया मोह से प्रभु सदा तुम्हारी रक्षा करें. मैं तुम्हारे साथ काम करने के लिए सदैव प्रस्तुत हूँ एवं हम लोग यदि स्वयं अपने मित्र रहें तो प्रभु भी हमारे लिए सैकडों मित्र भेजेंगे, आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुः। (वि.स.४/२७६) मैं तुम्हारे साथ काम करने के लिए सदैव प्रस्तुत हूँ एवं हम लोग यदि स्वयं अपने मित्र रहें तो प्रभु भी हमारे लिए सैकडों मित्र भेजेंगे, आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुः. (वि.स. 4 276 /)

ईर्ष्या तथा अंहकार को दूर कर दो -- संगठित होकर दूसरों के लिए कार्य करना सीखो। (वि.स.४/२८०) ईर्ष्या तथा अंहकार को दूर कर - दो संगठित होकर दूसरों के लिए कार्य करना सीखो. (वि.स. 4 280 /)

पूर्णतः निःस्वार्थ रहो, पूर्णतः निःस्वार्थ रहो, स्थिर रहो, और काम करो। स्थिर रहो, और काम करो. एक बात और है। एक बात और है. सबके सेवक बनो और दूसरों पर शासन करने का तनिक भी यत्न न करो, क्योंकि इससे ईर्ष्या उत्पन्न होगी और इससे हर चीज़ बर्बाद हो जायेगी। सबके सेवक बनो और दूसरों पर शासन करने का तनिक भी यत्न न करो, क्योंकि इससे ईर्ष्या उत्पन्न होगी और इससे हर चीज़ बर्बाद हो जायेगी. आगे बढो तुमने बहुत अच्छा काम किया है। आगे बढो तुमने बहुत अच्छा काम किया है. हम अपने भीतर से ही सहायता लेंगे अन्य सहायता के लिए हम प्रतीक्षा नहीं करते। हम अपने भीतर से ही सहायता लेंगे अन्य सहायता के लिए हम प्रतीक्षा नहीं करते. मेरे बच्चे, आत्मविशवास रखो, सच्चे और सहनशील बनो। (वि.स.४/२८४) मेरे बच्चे, आत्मविशवास रखो, सच्चे और सहनशील बनो. (वि.स. 4 284 /)

यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खडे हो जाओगे, तो तुम्हे सहायता देने के लिए कोई भी आगे न बढेगा। यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खडे हो जाओगे, तो तुम्हे सहायता देने के लिए कोई भी आगे न बढेगा. यदि सफल होना चाहते हो, तो पहले 'अहं' ही नाश कर डालो। (वि.स.४/२८५) यदि सफल होना चाहते हो, तो 'पहले' अहं ही नाश कर डालो. (वि.स. 4 285 /)

पक्षपात ही सब अनर्थों का मूल है, यह न भूलना। पक्षपात ही सब अनर्थों का मूल है, यह न भूलना. अर्थात् यदि तुम किसी के प्रति अन्य की अपेक्षा अधिक प्रीति-प्रदर्शन करते हो, तो याद रखो उसीसे भविष्य में कलह का बिजारोपण होगा। (वि.स.४/३१२) अर्थात् यदि तुम किसी के प्रति अन्य की अपेक्षा अधिक - प्रीति प्रदर्शन करते हो, तो याद रखो उसीसे भविष्य में कलह का बिजारोपण होगा. (वि.स. 4 312 /)

यदि कोई तुम्हारे समीप अन्य किसी साथी की निन्दा करना चाहे, तो तुम उस ओर बिल्कुल ध्यान न दो। यदि कोई तुम्हारे समीप अन्य किसी साथी की निन्दा करना चाहे, तो तुम उस ओर बिल्कुल ध्यान न दो. इन बातों को सुनना भी महान् पाप है, उससे भविष्य में विवाद का सूत्रपात होगा। (वि.स.४/३१३) इन बातों को सुनना भी महान् पाप है, उससे भविष्य में विवाद का सूत्रपात होगा. (वि.स. 4 313 /)

गम्भीरता के साथ शिशु सरलता को मिलाओ। गम्भीरता के साथ शिशु सरलता को मिलाओ. सबके साथ मेल से रहो। सबके साथ मेल से रहो. अहंकार के सब भाव छोड दो और साम्प्रदायिक विचारों को मन में न लाओ। अहंकार के सब भाव छोड दो और साम्प्रदायिक विचारों को मन में न लाओ. व्यर्थ विवाद महापाप है। (वि.स.४/३१८) व्यर्थ विवाद महापाप है. (वि.स. 4 318 /)

बच्चे, जब तक तुम्हारे हृदय में उत्साह एवं गुरू तथा ईश्वर में विश्वास- ये तीनों वस्तुएँ रहेंगी -- तब तक तुम्हें कोई भी दबा नहीं सकता। बच्चे, जब तक तुम्हारे हृदय में उत्साह एवं गुरू तथा ईश्वर में विश्वास - ये तीनों वस्तुएँ रहेंगी - तक तुम्हें कोई भी दबा नहीं सकता तब. मैं दिनोदिन अपने हृदय में शक्ति के विकास का अनुभव कर रहा हूँ। मैं दिनोदिन अपने हृदय में शक्ति के विकास का अनुभव कर रहा हूँ. हे साहसी बालकों, कार्य करते रहो। (वि.स.४/३३२) हे साहसी बालकों, कार्य करते रहो. (वि.स. 4 332 /)

किसी को उसकी योजनाओं में हतोत्साह नहीं करना चाहिए। किसी को उसकी योजनाओं में हतोत्साह नहीं करना चाहिए. आलोचना की प्रवृत्ति का पूर्णतः परित्याग कर दो। आलोचना की प्रवृत्ति का पूर्णतः परित्याग कर दो. जब तक वे सही मार्ग पर अग्रेसर हो रहे हैं; तब तक उन्के कार्य में सहायता करो; और जब कभी तुमको उनके कार्य में कोई ग़लती नज़र आये, तो नम्रतापूर्वक ग़लती के प्रति उनको सजग कर दो। जब तक वे सही मार्ग पर अग्रेसर हो रहे; हैं तब तक उन्के कार्य में सहायता करो; और जब कभी तुमको उनके कार्य में कोई ग़लती आये नज़र, तो नम्रतापूर्वक ग़लती के प्रति उनको सजग कर दो. एक दूसरे की आलोचना ही सब दोषों की जड है। एक दूसरे की आलोचना ही सब दोषों की जड है. किसी भी संगठन को विनष्ट करने में इसका बहुत बडा हाथ है। (वि.स.४/३१५) किसी भी संगठन को विनष्ट करने में इसका बहुत बडा हाथ है. (वि.स. 4 315 /)

किसी बात से तुम उत्साहहीन न होओ; जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है, कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है? किसी बात से तुम उत्साहहीन न; होओ जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है, कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है? यदि तुम अपनी अन्तिम साँस भी ले रहे हो तो भी न डरना। यदि तुम अपनी अन्तिम साँस भी ले रहे हो तो भी न डरना. सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो। (वि.स. ४/३२०) सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो. (वि.स. 4 320 /)

क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुध्दिमानी नहीं है। क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुध्दिमानी नहीं है. बुध्दिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढता पूर्वक खडा होकर कार्य करना चहिए। बुध्दिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढता पूर्वक खडा होकर कार्य करना चहिए. धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा। (वि.स. ४/३२८) धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा. (वि.स. 4 328 /)

बच्चे, जब तक हृदय में उत्साह एवं गुरू तथा ईश्वर में विश्वास - ये तीनों वस्तुएम रहेंगी - तब तक तुम्हें कोई भी दबा नहीं सकता। बच्चे, जब तक हृदय में उत्साह एवं गुरू तथा ईश्वर में विश्वास - ये तीनों वस्तुएम रहेंगी - सकता तब तक तुम्हें कोई भी दबा नहीं. मैं दिनोदिन अपने हृदय में शक्ति के विकास का अनुभव कर रहा हूँ। मैं दिनोदिन अपने हृदय में शक्ति के विकास का अनुभव कर रहा हूँ. हे साहसी बालकों, कार्य करते रहो। (वि.स. ४/३३२) हे साहसी बालकों, कार्य करते रहो. (वि.स. 4 332 /)

आओ हम नाम, यश और दूसरों पर शासन करने की इच्छा से रहित होकर काम करें। आओ हम नाम, यश और दूसरों पर शासन करने की इच्छा से रहित होकर करें काम. काम, क्रोध एंव लोभ -- इस त्रिविध बन्धन से हम मुक्त हो जायें और फिर सत्य हमारे साथ रहेगा। (वि.स. ४/३३८) काम, क्रोध एंव लोभ - इस त्रिविध बन्धन से हम मुक्त हो जायें और फिर सत्य हमारे साथ रहेगा. (वि.स. 4 338 /)

न टालो, न ढूँढों -- भगवान अपनी इच्छानुसार जो कुछ भेहे, उसके लिए प्रतिक्षा करते रहो, यही मेरा मूलमंत्र है। (वि.स. ४/३४८) न टालो, न ढूँढों - भगवान अपनी इच्छानुसार जो कुछ भेहे, उसके लिए प्रतिक्षा करते रहो, यही मेरा मूलमंत्र है. (वि.स. 4 348 /)

शक्ति और विशवास के साथ लगे रहो। सत्यनिष्ठा, पवित्र और निर्मल रहो, तथा आपस में न लडो। हमारी जाति का रोग ईर्ष्या ही है। (वि.स. ४/३६९)

एक ही आदमी मेरा अनुसरण करे, किन्तु उसे मृत्युपर्यन्त सत्य और विश्वासी होना होगा। मैं सफलता और असफलता की चिन्ता नहीं करता। मैं अपने आन्दोलन को पवित्र रखूँगा, भले ही मेरे साथ कोई न हो। कपटी कार्यों से सामना पडने पर मेरा धैर्य समाप्त हो जाता है। यही संसार है कि जिन्हें तुम सबसे अधिक प्यार और सहायता करो, वे ही तुम्हे धोखा देंगे। (वि.स. ४/३७७)

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